भारत में पालतू पशुओं को गोद लेने और खरीदने में कानूनी प्रक्रिया

भारत में पालतू पशुओं को गोद लेने और खरीदने में कानूनी प्रक्रिया

विषय सूची

पालतू पशु गोद लेने और खरीदने के लिए कानूनी आवश्यकताएँ

भारत में पालतू पशु को गोद लेना या खरीदना एक महत्वपूर्ण और जिम्मेदारी भरा कदम है। इसके लिए कुछ कानूनी प्रक्रियाओं और नियमों का पालन करना जरूरी है, जिससे पालतू जानवरों की सुरक्षा और समाज में उनकी भलाई सुनिश्चित हो सके। इस सेक्शन में हम भारत में पालतू पशु गोद लेने और खरीदने से संबंधित बुनियादी कानूनी आवश्यकताओं, जैसे रजिस्ट्रेशन, लाइसेंसिंग और किन जानवरों की अनुमति है, को समझेंगे।

पालतू पशुओं के लिए रजिस्ट्रेशन

कई भारतीय शहरों और महानगरों में, स्थानीय नगर निगम या नगरपालिका द्वारा पालतू कुत्ते या बिल्ली का रजिस्ट्रेशन करवाना जरूरी होता है। इससे न सिर्फ पालतू जानवर की पहचान सुरक्षित रहती है, बल्कि बीमारियों की रोकथाम तथा कानून व्यवस्था में भी मदद मिलती है।

शहर/राज्य रजिस्ट्रेशन अनिवार्यता प्रक्रिया
दिल्ली हाँ नगर निगम कार्यालय में फॉर्म भरना, फोटो व दस्तावेज जमा करना
मुंबई हाँ BMC द्वारा ऑनलाइन/ऑफलाइन आवेदन, वार्षिक शुल्क देना
लखनऊ हाँ (कुछ क्षेत्रों में) नगर निगम से संपर्क कर आवेदन करना

लाइसेंसिंग और दस्तावेज़ीकरण

अगर आप कोई विशेष नस्ल (जैसे विदेशी नस्ल) का कुत्ता, बिल्ली या पक्षी पालना चाहते हैं, तो आपको अतिरिक्त लाइसेंस या परमिट की आवश्यकता हो सकती है। कुछ राज्यों में एक्सोटिक स्पीशीज़ के लिए वन विभाग से अनुमति लेनी पड़ती है। उदाहरण के लिए, तोता, मैना जैसी देशी प्रजातियों को घर पर रखना भारतीय वन्यजीव संरक्षण अधिनियम के तहत प्रतिबंधित है। वहीं विदेशी पक्षियों के लिए आयात परमिट आवश्यक हो सकता है।

आवश्यक दस्तावेज़:

  • पहचान प्रमाण (आधार कार्ड/पैन कार्ड)
  • पते का प्रमाण (राशन कार्ड/बिजली बिल)
  • स्वास्थ्य प्रमाण पत्र (पशु चिकित्सक द्वारा जारी)
  • अक्सर टीकाकरण प्रमाण पत्र

किन जानवरों को पालने की अनुमति है?

भारत सरकार ने कुछ पशुओं को घरेलू पालतू के रूप में रखने की अनुमति दी है, जबकि कई जंगली प्रजातियाँ, जैसे कि इंडियन पारकेट्स (तोता), टर्टल्स, स्नेक्स आदि को रखना गैर-कानूनी माना जाता है। नीचे दिए गए तालिका में आप देख सकते हैं कि कौन-से जानवर आम तौर पर पालतू बनाए जा सकते हैं:

पालतू पशु अनुमति स्थिति
कुत्ता/बिल्ली (घरेलू नस्लें) अनुमति प्राप्त
विदेशी पक्षी (जैसे बजरीगर, लव बर्ड्स) कुछ मामलों में अनुमति प्राप्त (आयात परमिट आवश्यक)
तोता, मैना (भारतीय प्रजाति) प्रतिबंधित (गैर-कानूनी)
खरगोश, गिनी पिग्स आदि अनुमति प्राप्त
सांप, छिपकली, कछुआ (जंगली प्रजाति) प्रतिबंधित (गैर-कानूनी)
महत्वपूर्ण सूचना:

हमेशा किसी भी नए पालतू पशु को घर लाने से पहले स्थानीय प्रशासन या अधिकृत एजेंसी से नियमों की पुष्टि अवश्य करें ताकि आपको भविष्य में किसी कानूनी परेशानी का सामना न करना पड़े। सही दस्तावेज़ और परमिट प्राप्त करना आपके और आपके नए दोस्त दोनों के लिए जरूरी है।

2. पालतू पशु गोद लेने की प्रक्रिया

भारत में पालतू पशु गोद लेने के मुख्य तरीके

भारत में पालतू पशु गोद लेना अब पहले से कहीं अधिक आसान और जागरूकता के साथ हो रहा है। आमतौर पर लोग एनिमल शेल्टर, एनजीओ या फिर स्थानीय पशु अस्पतालों से पालतू जानवर गोद लेते हैं। यह प्रक्रिया न केवल आपके लिए एक अच्छा साथी चुनने का मौका देती है, बल्कि बेसहारा जानवरों को भी एक नया घर मिलता है।

पशु गोद लेने की प्रक्रिया के प्रमुख कदम

कदम विवरण
1. रिसर्च और चयन अपने नजदीकी एनिमल शेल्टर, एनजीओ या पशु अस्पताल की जानकारी लें और वहां उपलब्ध पालतू पशुओं को देखें।
2. आवेदन पत्र भरना गोद लेने के लिए एक फॉर्म भरना होता है जिसमें आपकी व्यक्तिगत जानकारी और अनुभव पूछे जाते हैं।
3. इंटरव्यू और काउंसलिंग एनजीओ या शेल्टर स्टाफ आपसे बातचीत करते हैं ताकि यह समझ सकें कि आप पालतू पशु की देखभाल करने के लिए उपयुक्त हैं या नहीं।
4. घर का निरीक्षण कुछ संगठन आपके घर का निरीक्षण कर सकते हैं ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि वह सुरक्षित और उपयुक्त है।
5. आवश्यक दस्तावेज़ीकरण आपको पहचान पत्र (आधार कार्ड, वोटर आईडी आदि) और एड्रेस प्रूफ देना पड़ सकता है। कभी-कभी एग्रीमेंट साइन करना भी जरूरी होता है।
6. शुल्क (अगर कोई हो) कुछ शेल्टर या एनजीओ न्यूनतम शुल्क लेते हैं जो टीकाकरण, मेडिकल चेकअप या देखभाल के खर्च को कवर करता है।
7. ट्रायल पीरियड/फॉलो-अप कई बार आपको कुछ दिनों के लिए ट्रायल पर पालतू दिया जाता है, जिससे यह देखा जाए कि पालतू आपके परिवार के साथ फिट बैठता है या नहीं। बाद में फॉलो-अप भी हो सकता है।
8. अंतिम गोद लेना सभी प्रक्रियाएं पूरी होने के बाद आपको पालतू पशु सौंप दिया जाता है। उसके बाद भी सहायता या सलाह के लिए आप एनजीओ या शेल्टर से संपर्क कर सकते हैं।

महत्वपूर्ण बातें जो ध्यान में रखें:

  • जानवर को गोद लेने से पहले उसकी जरूरतों और व्यवहार को समझें।
  • सभी जरूरी टीकाकरण और स्वास्थ्य जांच करवाएं।
  • स्थानीय नगर निगम के नियमों का पालन करें, जैसे डॉग लाइसेंस बनवाना आदि।
  • यदि आप पहली बार पालतू ले रहे हैं, तो एनजीओ से गाइडेंस जरूर लें।
  • पालतू जानवर को परिवार का हिस्सा मानकर उसकी देखभाल करें।

इस प्रकार भारत में पालतू पशु गोद लेना एक सरल लेकिन जिम्मेदारी भरा कदम है, जिसमें सही जानकारी और प्रक्रिया का पालन करना बेहद जरूरी है।

पालतू पशु खरीदते समय ध्यान देने योग्य बातें

3. पालतू पशु खरीदते समय ध्यान देने योग्य बातें

भारत में पालतू पशुओं को खरीदना या गोद लेना एक महत्वपूर्ण निर्णय है, जिसमें कई कानूनी और नैतिक पहलुओं का ध्यान रखना जरूरी है। इस सेक्शन में हम जानेंगे कि जब आप ब्रीडर, पेट शॉप्स या ऑनलाइन प्लेटफॉर्म्स से पालतू पशु खरीदते हैं, तो किन बातों का विशेष ध्यान रखना चाहिए।

ब्रीडर से पालतू पशु खरीदते समय क्या देखें?

  • लाइसेंस और रजिस्ट्रेशन: सुनिश्चित करें कि ब्रीडर के पास आवश्यक सरकारी लाइसेंस और रजिस्ट्रेशन हो। भारत में Breeding and Marketing Rules, 2017 के अनुसार यह अनिवार्य है।
  • स्वास्थ्य रिकॉर्ड: ब्रीडर से पूछें कि क्या वे पालतू पशु का वैक्सीनेशन और मेडिकल रिकॉर्ड दिखा सकते हैं।
  • पशु की स्थिति: पशु के रख-रखाव, सफाई और खान-पान का स्तर देखकर ही खरीदारी करें।

ब्रीडर चेकलिस्ट

जांचने योग्य दस्तावेज़ महत्व
लाइसेंस/रजिस्ट्रेशन सर्टिफिकेट कानूनी मान्यता सुनिश्चित करता है
वैक्सीनेशन कार्ड पशु स्वास्थ्य की गारंटी देता है
मेडिकल रिपोर्ट्स संभावित बीमारियों की जानकारी देता है

पेट शॉप्स से खरीदारी करते समय ध्यान दें

  • PCA Act अनुपालन: पेट शॉप्स को Prevention of Cruelty to Animals (Pet Shop) Rules, 2018 के तहत रजिस्टर्ड होना चाहिए।
  • पशु की देखभाल: देखें कि दुकान में साफ-सफाई और उचित वेंटिलेशन है या नहीं। सभी जानवर स्वस्थ और सक्रिय दिखें।
  • रिकॉर्ड्स: दुकान से पालतू पशु लेते समय खरीद की रसीद और चिकित्सा रिकॉर्ड जरूर लें।

ऑनलाइन प्लेटफॉर्म्स से खरीदारी के लिए सुझाव

  • वेबसाइट की प्रमाणिकता जांचें: किसी भी अनजान वेबसाइट या सोशल मीडिया ग्रुप से पालतू पशु न खरीदें। केवल विश्वसनीय और प्रमाणित प्लेटफॉर्म्स का इस्तेमाल करें।
  • KYC वेरिफिकेशन: विक्रेता का KYC वेरिफिकेशन जरूर देखें ताकि धोखाधड़ी से बच सकें।
  • घर पर डिलीवरी: अगर संभव हो तो पशु को खुद जाकर लें, ताकि उसकी हालत स्वयं देख सकें। केवल विश्वसनीय डिलीवरी सर्विस चुनें।

ऑनलाइन प्लेटफॉर्म चुनने के लिए टिप्स

मानदंड कैसे जांचें?
User Reviews & Ratings प्लेटफॉर्म पर यूज़र फीडबैक पढ़ें
KYC Verified Sellers KYC Badge या सर्टिफिकेट देखें
Cruelty-free Assurance PCA Act अनुपालन का उल्लेख हो
Médical History Provided प्रत्येक जानवर के लिए मेडिकल रिकॉर्ड उपलब्ध हो

कानूनी एवं नैतिक जिम्मेदारियां निभाएं

  • PCA Act 1960 पालन: सभी क्रय-विक्रय इस अधिनियम के तहत ही करें ताकि पशुओं के साथ कोई क्रूरता न हो।
  • NOC (No Objection Certificate): यदि किसी सोसायटी या अपार्टमेंट में रहते हैं, तो वहां की अनुमति पत्र (NOC) अवश्य लें।
  • पालतू जानवरों की देखभाल: पशु को अपनाने के बाद उसकी नियमित वैक्सीनेशन, पोषण और व्यायाम का पूरा ध्यान रखें।
सावधानी बरतें, जिम्मेदारी निभाएं – ताकि आपका नया साथी स्वस्थ और खुश रहे!

4. भारत में संबंधित सरकारी एजेंसियाँ और उनके नियम

भारतीय पशु कल्याण बोर्ड (AWBI)

भारतीय पशु कल्याण बोर्ड (Animal Welfare Board of India – AWBI) भारत सरकार के पशुपालन विभाग के अंतर्गत एक प्रमुख संस्था है। इसका मुख्य उद्देश्य पालतू और आवारा जानवरों की भलाई सुनिश्चित करना है। अगर आप पालतू पशुओं को गोद लेना या खरीदना चाहते हैं, तो आपको AWBI द्वारा निर्धारित नियमों का पालन करना जरूरी है।

AWBI के प्रमुख नियम:

नियम विवरण
पंजीकरण पालतू जानवरों की दुकानों और ब्रीडरों का पंजीकरण अनिवार्य है। बिना लाइसेंस के कोई भी व्यापार अवैध माना जाता है।
स्वास्थ्य प्रमाणपत्र हर जानवर के पास स्वास्थ्य प्रमाणपत्र होना चाहिए, जिसमें टीकाकरण और नियमित जांच की जानकारी हो।
पशु कल्याण मानदंड जानवरों को उचित भोजन, पानी, जगह, और देखभाल मिलनी चाहिए। किसी भी तरह की क्रूरता पर सख्त कार्रवाई होती है।
गोद लेने की प्रक्रिया गोद लेने वाले व्यक्ति या परिवार की पृष्ठभूमि जांच और घर का निरीक्षण किया जा सकता है।

पशुपालन विभाग की भूमिका

भारत के हर राज्य में पशुपालन विभाग अलग-अलग स्तर पर काम करता है। ये विभाग पालतू पशुओं से जुड़ी गतिविधियों की निगरानी करते हैं और स्थानीय कानूनों को लागू करते हैं। जैसे कि ब्रीडिंग लाइसेंस, गोद लेने के लिए अनुमति, तथा स्वास्थ्य और सुरक्षा मानकों का पालन करवाना इनकी जिम्मेदारी होती है। पशुपालन विभाग समय-समय पर निरीक्षण भी करता है ताकि सभी नियमों का सही तरीके से पालन हो सके।

सरकारी एजेंसियों द्वारा आवश्यक दस्तावेज़:

एजेंसी आवश्यक दस्तावेज़ महत्वपूर्ण विवरण
AWBI पंजीकरण प्रमाण पत्र, स्वास्थ्य रिपोर्ट, टीकाकरण प्रमाण पत्र पालतू जानवरों की बिक्री/गोद लेने के लिए अनिवार्य
राज्य पशुपालन विभाग स्थानीय लाइसेंस, पहचान पत्र, निवास प्रमाण पत्र राज्य स्तर पर मान्यता प्राप्त करने हेतु जरूरी
विशेष ध्यान देने योग्य बातें:
  • पशुओं को कभी भी बिना उचित कागजात या नियमों के गोद न लें या खरीदें।
  • अगर कोई ब्रीडर या दुकान लाइसेंस नहीं दिखाती, तो वहां से पालतू जानवर लेना अवैध हो सकता है।
  • पालतू पशुओं की भलाई सबसे महत्वपूर्ण है, इसीलिए सरकारी नियमों का पालन करना जरूरी है।
  • किसी भी शिकायत या सहायता के लिए आप अपने राज्य के पशुपालन विभाग या AWBI से संपर्क कर सकते हैं।

5. पालतू पशुओं के अधिकार और पशु कल्याण से जुड़ी जिम्मेदारियाँ

भारत में पालतू पशुओं को गोद लेने या खरीदने के साथ-साथ उनके अधिकारों और पशु कल्याण कानूनों की जानकारी होना बहुत ज़रूरी है। हर पालतू पशु का एक खुशहाल और सुरक्षित जीवन जीने का हक़ है, और इसके लिए मालिक को कुछ कानूनी जिम्मेदारियाँ निभानी होती हैं। इस सेक्शन में हम भारत के प्रमुख पशु कल्याण कानून, क्रूरता निवारण अधिनियम, और एक जिम्मेदार पालतू मालिक की प्रमुख जिम्मेदारियों पर चर्चा करेंगे।

पशु कल्याण कानून और क्रूरता निवारण अधिनियम

भारत सरकार ने पशुओं के प्रति क्रूरता निवारण अधिनियम, 1960 (Prevention of Cruelty to Animals Act, 1960) लागू किया है। इस कानून के अनुसार किसी भी पशु के साथ बुरा व्यवहार करना, उसे दर्द पहुँचाना या उसकी उपेक्षा करना अपराध माना जाता है।

प्रमुख कानून/नियम विवरण
क्रूरता निवारण अधिनियम, 1960 पशुओं की सुरक्षा, देखभाल और उनके साथ दया का व्यवहार अनिवार्य करता है
पशु जन्म नियंत्रण (ABC) नियम आवारा कुत्तों की देखभाल व नसबंदी के लिए दिशा-निर्देश देता है
भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 428/429 जान-बूझकर किसी जानवर को नुकसान पहुँचाने पर सजा का प्रावधान

एक जिम्मेदार पालतू मालिक की जिम्मेदारियाँ

  • स्वास्थ्य और टीकाकरण: पालतू जानवरों को समय-समय पर डॉक्टर को दिखाना और उनका टीकाकरण करवाना जरूरी है। इससे वे बीमारियों से सुरक्षित रहते हैं।
  • साफ-सफाई: उन्हें साफ पानी, पोषक खाना और साफ-सुथरी जगह देना चाहिए। यह उनकी सेहत के लिए जरूरी है।
  • देखभाल और प्यार: जानवरों के साथ दया व प्रेम से पेश आना चाहिए। उन्हें मारना, डराना या उपेक्षा करना कानूनी अपराध है।
  • सुरक्षा: अपने पालतू जानवरों को सुरक्षित जगह रखना चाहिए ताकि उन्हें कोई नुकसान न पहुंचे और वे दूसरों के लिए भी खतरा न बनें।
  • प्राकृतिक आदतों का सम्मान: हर जानवर की अपनी अलग जरूरतें होती हैं; जैसे कुत्तों को टहलाना, बिल्लियों को खेलने देना आदि। इनका ध्यान रखना जरूरी है।
  • अनावश्यक प्रजनन रोकना: बिना वजह प्रजनन कराने से बचना चाहिए तथा नसबंदी करवानी चाहिए ताकि जनसंख्या नियंत्रित रहे।

भारत में जिम्मेदार पालतू स्वामी बनने के मुख्य बिंदु:

जिम्मेदारी कैसे निभाएं?
टीकाकरण & स्वास्थ्य जांच नजदीकी पशु चिकित्सालय में नियमित विजिट करें
पोषण & खानपान उचित आहार व साफ पानी दें
आवास व्यवस्था स्वच्छ एवं सुरक्षित स्थान पर रखें
समय देना & व्यायाम हर दिन समय निकालकर टहलाएं या खेलें
कानून का पालन स्थानीय नगर निगम एवं केंद्र सरकार के नियमों का पालन करें
ध्यान रखें: अगर किसी भी जानवर के साथ दुर्व्यवहार देखें तो तुरंत स्थानीय पुलिस या एनिमल वेलफेयर बोर्ड ऑफ इंडिया (AWBI) से संपर्क करें। यह सभी नागरिकों की नैतिक व कानूनी जिम्मेदारी है कि वे पशुओं के अधिकारों की रक्षा करें।