1. ब्रीडर की पृष्ठभूमि और प्रतिष्ठा
जब आप पहली बार किसी ब्रीडर के पास जाते हैं, तो सबसे जरूरी है कि आप उनकी पृष्ठभूमि और प्रतिष्ठा के बारे में विस्तार से जानकारी लें। भारत में कई प्रकार के ब्रीडर्स होते हैं – कुछ पारिवारिक व्यवसाय से जुड़े होते हैं, कुछ पेशेवर रूप से इस क्षेत्र में काम करते हैं। सही ब्रीडर चुनना आपके नए पालतू की सेहत और भविष्य के लिए बहुत महत्वपूर्ण है।
ब्रीडर का अनुभव
सबसे पहले यह जानें कि ब्रीडर को इस क्षेत्र में कितना अनुभव है। उनसे पूछें कि वे कितने वर्षों से डॉग या कैट ब्रीडिंग कर रहे हैं। अनुभवी ब्रीडर आमतौर पर पपीज या किटन की देखभाल, उनके स्वास्थ्य और उनकी व्यवहारिक जरूरतों को अच्छे से समझते हैं।
ब्रीडर का अनुभव कैसे जांचें?
प्रश्न | पूछने का उद्देश्य |
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आप इस क्षेत्र में कब से हैं? | अनुभव का आकलन करना |
अब तक आपने कितने पालतू बेचे हैं? | उनकी सक्रियता और लोकप्रियता जानना |
क्या आपके पुराने ग्राहकों से बात कर सकते हैं? | फीडबैक लेना और साख जानना |
लाइसेंस एवं प्रमाणपत्र
भारत में एक जिम्मेदार ब्रीडर के पास उचित लाइसेंस और प्रमाणपत्र होना चाहिए। खासकर, भारतीय केनल क्लब (Kennel Club of India) या अन्य मान्यता प्राप्त संस्थाओं के प्रमाणपत्र जरूर देखें। इससे आपको भरोसा मिलेगा कि ब्रीडर नियमों का पालन करता है और पशुओं की भलाई को महत्व देता है।
महत्वपूर्ण दस्तावेज़ जो देखने चाहिए:
दस्तावेज़ का नाम | महत्व |
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Kennel Club of India रजिस्ट्रेशन सर्टिफिकेट | पालतू की नस्ल और वंशावली का प्रमाण |
स्थानीय नगर निगम लाइसेंस | कानूनी रूप से व्यवसाय चलाने की अनुमति |
स्वास्थ्य एवं टीकाकरण रिकॉर्ड्स | पालतू के स्वास्थ्य की गारंटी |
बाजार में छवि और फीडबैक जानना क्यों जरूरी है?
आपको अपने दोस्तों, पड़ोसियों या सोशल मीडिया ग्रुप्स में भी ब्रीडर के बारे में जानकारी लेनी चाहिए। ऑनलाइन रिव्यूज़, फेसबुक ग्रुप्स या व्हाट्सएप कम्युनिटी में पूछें कि क्या किसी ने वहां से पालतू लिया है? इससे आपको ब्रीडर की साख पता चलेगी और आप सही निर्णय ले पाएंगे। अगर ब्रीडर पारदर्शिता दिखाता है, सारे दस्तावेज़ दिखाता है और पुराने ग्राहकों से बात करवाने के लिए तैयार रहता है, तो यह उसके भरोसेमंद होने का संकेत है।
2. पालतू की सेहत और टीकाकरण
पालतू के स्वास्थ्य रिकॉर्ड
जब आप पहली बार ब्रीडर के पास जाते हैं, तो सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि आप पालतू के स्वास्थ्य रिकॉर्ड की जांच करें। भारत में, अच्छे ब्रीडर हमेशा अपने पालतू जानवरों का विस्तृत मेडिकल रिकॉर्ड रखते हैं। इसमें जन्म तिथि, वजन, ग्रोथ डिटेल्स और किसी भी बीमारी का उल्लेख होता है। आप ब्रीडर से यह रिकॉर्ड मांग सकते हैं ताकि आपको अपने नए साथी की हेल्थ हिस्ट्री समझने में आसानी हो।
डिवॉर्मिंग का स्टेटस पूछें
डिवॉर्मिंग, यानी पेट के कीड़ों का इलाज, भारत में हर पालतू जानवर के लिए जरूरी है। ब्रीडर से पूछें कि क्या डिवॉर्मिंग सही समय पर करवाई गई है या नहीं। आमतौर पर पिल्लों और बिल्ली के बच्चों को जीवन के पहले हफ्तों में ही डिवॉर्मिंग दी जाती है। नीचे एक आसान तालिका दी गई है जिसमें डिवॉर्मिंग शेड्यूल बताया गया है:
आयु | डिवॉर्मिंग इंटरवल |
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2-4 हफ्ते | हर 2 हफ्ते में |
8-12 हफ्ते | हर 3-4 हफ्ते में |
6 महीने से ऊपर | हर 3 महीने में |
अनिवार्य टीकाकरण (Vaccination) की जानकारी लें
भारत सरकार और पशु चिकित्सकों के अनुसार, कुछ टीकाकरण सभी कुत्तों और बिल्लियों के लिए जरूरी हैं। इनमें रैबीज (Rabies), डistemper, पैरवो वायरस (Parvovirus) आदि शामिल हैं। ब्रीडर से इन वैक्सीन्स की डेट्स और वैक्सीनेशन कार्ड जरूर देखें। इससे यह सुनिश्चित होगा कि आपका नया पालतू गंभीर बीमारियों से सुरक्षित है।
आवश्यक टीकाकरण सूची (Vaccination Schedule)
टीका | पहली खुराक | बूस्टर खुराक |
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रैबीज (Rabies) | 12-16 सप्ताह | हर साल |
डistemper | 6-8 सप्ताह | हर 3 साल में |
पैरवो वायरस (Parvovirus) | 6-8 सप्ताह | हर 3 साल में |
पूर्व बीमारियों के बारे में जानकारी प्राप्त करें
अपने नए पालतू की हेल्थ को लेकर कोई जोखिम न लें। ब्रीडर से पूछें कि क्या पालतू को कोई पुरानी बीमारी रही है या परिवार में कोई अनुवांशिक बीमारी चलती आ रही है। इससे आपको आगे चलकर सही देखभाल करने में मदद मिलेगी। अगर संभव हो तो पशु चिकित्सक द्वारा चेकअप करवाना भी अच्छा रहेगा।
3. पालतू की सामाजिकता और व्यवहार
पालतू के माता-पिता का स्वभाव जानना क्यों ज़रूरी है?
जब आप किसी ब्रीडर के पास पहली बार जाते हैं, तो पालतू के माता-पिता का स्वभाव जानना बहुत महत्वपूर्ण होता है। माता-पिता का व्यवहार अक्सर बच्चों में भी देखा जाता है। अगर माता या पिता दोस्ताना, शांत और आज्ञाकारी हैं, तो संभावना है कि उनका बच्चा भी वैसा ही होगा।
आप किन सवालों से जानकारी ले सकते हैं:
सवाल | जानकारी क्यों जरूरी है? |
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क्या मैं पालतू के माता या पिता से मिल सकता हूँ? | स्वभाव व व्यवहार समझने में मदद मिलती है |
क्या माता-पिता आक्रामक हैं? | आक्रामकता की प्रवृत्ति जानने के लिए |
क्या वे घर के सदस्यों के साथ अच्छे हैं? | पारिवारिक माहौल में सामंजस्य पता चलता है |
पालतू का सामाजिक अनुभव पूछें
पालतू ने अब तक किस तरह का सामाजिक अनुभव पाया है, यह जानना आपको उसके व्यवहार को समझने में मदद करेगा। जो पालतू छोटे से ही लोगों या अन्य पालतुओं के संपर्क में रहे हैं, वे ज्यादा मिलनसार और खुशमिजाज होते हैं।
जांचिए:
- क्या पालतू बच्चों के साथ रहा है?
- क्या वह दूसरे कुत्तों या बिल्लियों के साथ घुल-मिल गया है?
- क्या उसे बाहर घुमाया गया है या सिर्फ घर में रखा गया है?
- किस उम्र में उसका समाजीकरण शुरू किया गया?
बच्चों एवं अन्य पालतुओं के साथ व्यवहार
अगर आपके घर में पहले से बच्चे या दूसरे पालतू जानवर हैं, तो यह जरूर पूछें कि आपका चुना हुआ पालतू उनके साथ कैसा रहेगा। कई बार कुछ नस्लें बच्चों के साथ बहुत अच्छा व्यवहार करती हैं, जबकि कुछ नहीं कर पातीं। इसी तरह, दूसरी प्रजाति के पालतुओं (जैसे बिल्ली या खरगोश) के साथ सामंजस्य भी महत्वपूर्ण होता है।
स्थिति | पूछे जाने वाले सवाल |
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घर में छोटे बच्चे हैं | क्या यह पालतू बच्चों को पसंद करता है? क्या उसने बच्चों के साथ खेला है? |
घर में पहले से पालतू जानवर हैं | क्या यह अन्य कुत्तों/बिल्लियों के साथ सहज रहता है? |
भीड़-भाड़ वाली जगह पर जाना हो सकता है | क्या इसे बाहर ले जाया गया है? कैसा प्रतिक्रिया देता है? |
इन सवालों और जानकारी से आप सही निर्णय ले सकते हैं कि यह पालतू आपके परिवार और भारतीय संस्कृति के अनुसार फिट बैठता है या नहीं। सही जानकारी लेने से भविष्य में परेशानियां कम होंगी और आपको एक सच्चा साथी मिलेगा।
4. आहार एवं देखभाल की जानकारी
पालतू के वर्तमान भोजन के बारे में पूछें
जब आप ब्रीडर के पास पहली बार जाते हैं, तो सबसे जरूरी सवालों में से एक है कि पालतू इस समय कौन सा भोजन खा रहा है। हर पालतू को उसकी उम्र, नस्ल और स्वास्थ्य अनुसार अलग-अलग भोजन की जरूरत होती है। ब्रीडर से यह जरूर जानें कि वह अभी तक किस तरह का खाना देता आया है – जैसे कि ड्राई फूड, घर का बना खाना या फिर कोई विशेष ब्रांड।
पसंदीदा आहार और इंडियन कंडीशन में पोषण जरुरतें
भारत की जलवायु, तापमान और जीवनशैली के हिसाब से पालतू को क्या खाना देना चाहिए, यह समझना जरूरी है। कई बार विदेशी ब्रांड्स या आहार भारत के मौसम में सूट नहीं करते। इसलिए ब्रीडर से ये बातें विस्तार से पूछें – जैसे कि:
सवाल | क्या पूछना चाहिए? |
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पसंदीदा आहार | पालतू को कौन-कौन सी चीजें सबसे ज्यादा पसंद हैं? (जैसे चिकन, चावल, दूध आदि) |
खाने का रूटीन | दिन में कितनी बार खाना दिया जाता है? |
न्यूट्रिशन सप्लीमेंट्स | क्या कोई विटामिन या मिनरल सप्लीमेंट देना जरूरी है? |
फूड एलर्जी | क्या किसी चीज से एलर्जी है? |
स्वच्छता और ग्रूमिंग की देखरेख
आहार के साथ-साथ पालतू की सफाई और ग्रूमिंग भी जानना जरूरी है। ब्रीडर से इन बातों पर चर्चा करें:
- नहाना: आमतौर पर पालतू को कितने दिन में एक बार नहलाते हैं?
- बालों की देखभाल: बालों को ब्रश करने का तरीका और फ्रीक्वेंसी क्या होनी चाहिए?
- कान, आंख और नाखून: उनकी सफाई कैसे और कितने समय बाद करनी चाहिए?
- लोकल प्रोडक्ट्स: भारत में आसानी से उपलब्ध शैम्पू, साबुन या ब्रश कौन से बेहतर हैं?
उदाहरण के लिए देखभाल रूटीन (इंडियन कंडीशन):
देखभाल कार्य | फ्रीक्वेंसी/विधि | विशेष सलाह (भारत में) |
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नहलाना | 15-20 दिन में एक बार | गर्मियों में गुनगुने पानी का इस्तेमाल करें |
ब्रशिंग करना | हर दूसरे दिन या रोज़ (अगर बाल लंबे हैं) | स्थानीय बाजार में मिलने वाले सॉफ्ट ब्रश चुनें |
कान/आंख सफाई | सप्ताह में 1-2 बार | कॉटन बॉल और हल्के क्लीनर का प्रयोग करें |
नाखून काटना | महीने में 1-2 बार | स्पेशल पेट क्लिपर का उपयोग करें; ज्यादा छोटा न काटें |
ध्यान दें:
हर पालतू की आदतें और जरूरतें अलग हो सकती हैं, इसलिए ब्रीडर से पूरी जानकारी लें ताकि आपके नए साथी को भारतीय माहौल में कोई परेशानी न हो। सही आहार और देखभाल उसके स्वस्थ विकास के लिए बेहद जरूरी है।
5. ब्रीडर की बिक्री एवं सहयोग नीति
गृह निरीक्षण (Home Visit)
जब आप ब्रीडर से पिल्ला या बिल्ली का बच्चा खरीदने जा रहे हैं, तो यह जानना जरूरी है कि क्या वे आपको पशु का घर (घर या पालन केंद्र) दिखाने के लिए तैयार हैं। इससे आपको पता चलेगा कि पालतू को किस माहौल में पाला गया है और उसकी देखभाल कैसे हो रही है। कुछ प्रतिष्ठित ब्रीडर घर पर निरीक्षण की सुविधा देते हैं, ताकि आप खुद सुनिश्चित कर सकें कि पालतू स्वस्थ और खुश है।
स्वास्थ्य वारंटी (Health Warranty)
भारत में कई अच्छे ब्रीडर स्वास्थ्य वारंटी देते हैं, जिससे आपको आश्वासन मिलता है कि पालतू किसी गंभीर बीमारी से पीड़ित नहीं है। पूछें:
- क्या ब्रीडर कोई लिखित स्वास्थ्य गारंटी देता है?
- वारंटी कितने दिनों या हफ्तों के लिए मान्य है?
- अगर पालतू बीमार निकला, तो क्या रिफंड या रिप्लेसमेंट मिलेगा?
वारंटी का प्रकार | अवधि | क्या शामिल है? |
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सामान्य स्वास्थ्य वारंटी | 7-14 दिन | संक्रामक रोगों से सुरक्षा |
जीवन भर जेनेटिक डिसऑर्डर वारंटी | 1-2 साल तक | जेनेटिक बीमारियाँ |
आवश्यक डॉक्यूमेंट्स (Documents)
पिल्ला या बिल्ली का बच्चा खरीदते समय सही कागजात होना बेहद जरूरी है। भारत में आमतौर पर निम्नलिखित डॉक्यूमेंट्स मांगे जाते हैं:
- पैडिग्री पेपर्स: यह प्रमाण पत्र होता है कि पालतू शुद्ध नस्ल का है। भारतीय केनेल क्लब (KCI) द्वारा जारी पेपर्स विश्वसनीय माने जाते हैं।
- माइक्रोचिप डिटेल्स: माइक्रोचिप नंबर और रजिस्ट्रेशन डिटेल्स मांगें, ताकि भविष्य में पहचान आसान हो सके।
- वैक्सीनेशन रिकॉर्ड: सभी टीकों का पूरा ब्यौरा मांगना न भूलें।
डॉक्यूमेंट का नाम | महत्व |
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पैडिग्री पेपर | नस्ल की शुद्धता दर्शाता है |
माइक्रोचिप डिटेल्स | पहचान और ट्रैकिंग के लिए जरूरी |
वैक्सीनेशन कार्ड | स्वास्थ्य और टीका स्थिति का प्रमाण |
खरीद के बाद सहायता (After-Sale Support)
भारतीय संस्कृति में पालतू को परिवार का हिस्सा माना जाता है। इसलिए, ब्रीडर से जरूर पूछें कि क्या वे खरीद के बाद भी किसी प्रश्न या समस्या में आपकी मदद करेंगे? उदाहरण के लिए:
- अगर पालतू बीमार पड़ जाए, तो क्या शुरुआती सलाह देंगे?
- पालतू की देखभाल या ट्रेनिंग संबंधी सुझाव देंगे?
- आपातकालीन स्थिति में क्या संपर्क किया जा सकता है?
ब्रीडर से पूछने वाले सामान्य प्रश्न:
प्रश्न | ब्रीडर की अपेक्षित प्रतिक्रिया |
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Kya ghar par inspection संभव है? | हाँ/नहीं, कारण स्पष्ट करें। |
Kya स्वास्थ्य वारंटी उपलब्ध है? | हां, अवधि व नियम बताएं। |
Kya पैडिग्री पेपर मिलेंगे? | KCI या अन्य प्रमाणित पेपर दें। |
Kya खरीद के बाद भी मदद मिलेगी? | Email/फोन/WhatsApp सपोर्ट उपलब्ध हो सकता है। |
इन सभी बातों को ध्यान में रखते हुए ही ब्रीडर से पालतू खरीदना आपके और नए परिवार सदस्य दोनों के लिए फायदेमंद रहेगा। सही जानकारी लेना हमेशा आपके हित में रहेगा।